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सूर्यास्त -03-Jan-2022

सूर्यास्त 




इससे पहले कि इस जिंदगी का सूर्यास्त हो 
दिन के उजाले की तरह खुशियां समाप्त हो 
आओ मिलकर प्यार की स्वर लहरियां बिखेरें 
समय के कैनवास पर सत्कर्मों के चित्र उकेरें
गंगा की तरह मन को पावन और निर्मल कर लें 
राग द्वेष छोड़कर विश्व को अपनी बांहों में भर लें 
नफरत की कड़वी बोली छोड़ तराने प्रेम के गुनगुनायें  
मुफ्त की खैरात के बजाय परिश्रम पर भरोसा जतायें 
जब ज्ञात है कि जीवन में सूर्यास्त अवश्यंभावी है 
जिंदगी के चार दिनों पर मौत की कालजयी रातें हावी हैं
इसलिए नेकी और सदाचार के पथ पर चलना होगा 
अपने कर्मों और व्यवहार से गुलाब सा महकना होगा 
जब सूर्यास्त का समय आये तब चेहरे पे मुस्कान हो 
इस तरह से इस जीवन रूपी दिवस का अवसान हो 

हरिशंकर गोयल "हरि"
3.1.21 

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